कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ काशी में जाके विराजे देखो तीनो लोक के स्वामी माँ री माँ वो डमरू वाला, तन पे पहने मृग की छाला। काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी । शिव के चरणों में मिलते हैं सारी तीरथ चारो धाम आपका ईमेल पता https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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